फरीदाबाद। फरीदाबाद जिले का यह पहला मामला है जब एक मरीज के लिवर और किडनी का एक साथ ट्रांसप्लांट सफल हुआ है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में लिवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी, नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के डॉक्टरों की टीम ने मिलकर गहन अनुभव एवं चिकित्सीय कौशल से यह कारनामा कर दिखाया है। मरीज अब पूरी तरह ठीक है। इसलिए उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। नई जिंदगी मिलने पर मरीज एवं उसके परिजन ने मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स के लिवर एवं किडनी ट्रांसप्लांट टीम का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।
डॉ.पुनीत सिंगला, प्रोग्राम क्लीनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी लिवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने बताया कि हमारे पास इथोपिया से 44 वर्षीय बाहेरू सादिके नासिर अंतरराष्ट्रीय मरीज आया जिसका लिवर और किडनी दोनों खराब थे। लिवर हेपेटाइटिस बी के कारण खराब हो गया था। मसल मास यानि शरीर में मौजूद नरम मांसपेशियों की मात्रा कम थी और मरीज का वजन भी कम था। वह लगभग एक साल से बीमार था। व्यक्तिके शरीर का एक महत्वपूर्ण ऑर्गन फेल हो जाने पर ही काफी परेशानी होती है। लेकिन इस मरीज के शरीर के दो महत्वपूर्ण अंग फेल हो गए थे तो दिक्कत कई गुणा बढ़ गई थी इसलिए मरीज के लिवर ट्रांसप्लांट करने के साथ किडनी का भी ट्रांसप्लांट करना जरूरी था। मरीज और दो अलग-अलग डोनर की फिटनेस टेस्ट करने के बाद लिवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी, नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों की टीम ने दोनों ऑपरेशन एक साथ करने का निर्णय लिया। मरीज की जान बचाने के लिए उसके एक भाई ने अपना लिवर डोनेट किया और दूसरे भाई ने किडनी डोनेट की। डॉक्टरों की टीम ने लगातार 15 घंटे तक ऑपरेशन करके लिवर और एक किडनी ट्रांसप्लांट करने में सफलता हासिल की। मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है।
डॉ.श्रीराम काबरा प्रोग्राम क्लीनिकल डायरेक्टर नेफ्रोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि यह केस काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि इसमें मरीज के एक साथ दो ऑर्गन की सर्जरी की गई थीं। ऐसे केस में सामान्य मरीज की तुलना में जटिलताएं भी हमेशा ज्यादा होती हैं। नार्मल लिवर ट्रांसप्लांट करने में 10-12 घंटे का समय लगता है लेकिन इस केस में एक मरीज में लिवर और किडनी दोनों अंगों का ट्रांसप्लांट करने में 15 घंटे का समय लगा। मरीज को एक ट्रांसप्लांट के बाद ही सामान्य करना चुनौतीपूर्ण होता है। दो ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की केयर ज्यादा करनी पड़ती है। किडनी और लिवर दोनों अंग ठीक से कार्य करेंए इन्फेक्शन न होए इन सारी चीजों का अच्छे से ध्यान रखना पड़ता है। इम्यूनोसप्रेशन का नियंत्रण भी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि ऐसे मामलों में संक्रमण का जोखिम बहुत अधिक होता है। ट्रांसप्लांट के बाद रिजेक्शन भी एक चुनौती हैए क्योंकि हम इम्यूनोसप्रेशन की पूरी खुराक नहीं दे सकते।
डॉ. राजीव सूद चेयरमैन.यूरोलॉजी, रोबोटिक्स एवं किडनी ट्रांसप्लांटए मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि एक अंग के प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) की तुलना में लिवर एवं किडनी दोनों अंगों का एक साथ प्रत्यारोपण तुलनात्मक रूप से दुर्लभ है। यह क्षेत्र और केंद्र के आधार पर विश्व भर में किए जाने वाले सभी लिवर प्रत्यारोपणों का लगभग 3.7 प्रतिशत है। लिवर एवं किडनी का एक साथ प्रत्यारोपण (सीएलकेटी) एक जटिल सर्जिकल प्रक्रिया है, जो तब की जाती है जब लिवर और गुर्दे दोनों खराब हो जाते हैं और दोनों अंगों का प्रत्यारोपण आवश्यक हो जाता है।