फरीदाबाद। नवरात्रि के शुभ अवसर पर एनआईटी स्थित महारानी वैष्णो देवी मंदिर में नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। इस दौरान सुबह से मंदिर में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था। सुबह हवन के साथ-साथ माता की आरती की गई। इस मौके पर जोगेंद्र सब्बरवाल, प्रदीप गेरा, पीके बत्रा, नीरज, बंसी कुकरेजाा, सीपी कालरा, राकेश, लोचन भाटिया सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। इस दौरान मंदिर के प्रधान जगदीश भाटिया ने माता रानी से सभी भक्तों की मंगल कामना के लिए अरदास की। श्रद्धालुओं ने अपनी श्रद्धा के अनुसार माता रानी को सौलह श्रृंगार, नारियल आदि चढ़ाए। इस अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा माता के भजनों का गुणगान करते हुए जमकर जयकारे लगाए गए। माता के साथ-साथ भैरव बाबा व अन्य भगवानों की भी आरती का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंदिर के प्रधान जगदीश भाटिया ने बताया कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा- अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है। ऐसा माना जाता है मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है, जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं। उन्होंने बताया कि मां चंद्रघटा अपने शांत और सौम्य स्वरूप के लिए जानी जाती है। जगदीश भाटिया ने बताया कि प्राचीन कथाओं के अनुसार असुरों का आतंक बढऩे पर मां दुर्गा ने अपने तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा का अवतार लिया और उन्हें सबक सिखाया। पुराणों के अनुसार राजा इंद्र का सिंहासन राजा महिषासुर हड़पना चाहता था, जो कि दैत्यों के राजा थे. इसलिए देवताओं और दैत्य सेना के बीच में युद्ध शुरू हो गया। राजा महिषासुर स्वर्ग लोक पर राज करना चाहते थे और उनकी इस बात से सभी देवता बहुत परेशान थे. राजा महिषासुर से परेशान होकर सभी देवता त्रिदेव के पास पहुंचे और उन्हें सारी बात बताई। देवताओं की बात सुनककर त्रिदेव क्रोधित हो गए और तुरंत उनकी समस्या का हल निकाला। इस दौरान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई, जिसने देवी चंद्रघंटा का रूप लिया। देवी को भगवान शिव ने त्रिशूल, विष्णु जी ने चक्र, इंद्र ने घंटा, सूर्य देव ने तेज व तलवार और बाकी अन्य देवताओं ने अपने अस्त्र और शस्त्र दे दिए. ये सब चीजें मिलने के बाद उनका नाम चंद्रघंटा रखा गया।