फरीदाबाद। आंगनवाड़ी सेवाओं के लिए अनिवार्य फेस रिक्रिएशन सिस्टम (एफ आर एस) को वापस लेने तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के उत्पीडऩ को रोकने हेतु तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग को लेकर आज फरीदाबाद की सैकड़ो आंगनवाड़ी वर्कर्स एवं सहायिकाओं ने फरीदाबाद के सांसद कृष्ण पाल गुर्जर के सहायक को 5 सूत्रीय ज्ञापन दिया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार फरीदाबाद जिले की सैकड़ो आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर बडख़ल मोड़ पर एकत्रित हुए। यहां से प्रदर्शन करते हुए सांसद के निवास पर पहुंची। सरकार की नीतियों से नाराज हुई बैठी आंगनवाड़ी वर्कर्स हेल्पर ने जमकर नारेबाजी की। उन्होंने फेस कैप्चर ऐप को बंद करो। आंगनबाड़ी केंद्रों में मुक्त वाईफाई कनेक्शन देने के नारे लगाए। आज के प्रदर्शन की अध्यक्षता जिला प्रधान मालवती तथा संचालन जिला सचिव देवेंद्री शर्मा ने किया।
इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए सीटू के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के नये आदेश अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों में लाभार्थियों को 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं को दिए जाने वाले टेक होम राशन के लिए पोषण ट्रैकर ऐप में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मोबाइल फोन से अपडेट करना अनिवार्य कर दिया गया है। जो लाभार्थी फेस कैप्चर सिस्टम में पंजीकृत नहीं होंगे उन्हें टेक होम राशन नहीं दिया जाएगा। सरकार ने पंजीकरण के लिए दो चरण का प्रमाणीकरण आवश्यक कर दिया है। जिसमें लाभार्थी की फोटो को ऐप के माध्यम से कैप्चर करना तथा उनके आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबर पर भेजे गए वन टाइम पासवर्ड को वेरी फाई करना होगा। यहां स्पष्ट किया गया है। कि जो लाभार्थी दो चरण के प्रमाणीकरण को पूरा नहीं करेगा। उन्हें लाभार्थियों की सूची से हटा दिया जाएगा। सरकार के नए आदेशों के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है। कि 1 जुलाई 2025 से फेस क्रिएशन सिस्टम में पंजीकृत न हो पाने वाले लाभार्थियों को टेक होम राशन नहीं दिया जाए। यह खाद्य सुरक्षा अधिनियम का घोर उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि वह बहुत आश्चर्य की बात है। कि फेस रिक्रिएशन सिस्टम की प्रणाली उन लोगों द्वारा बनाई गई है। जिन्हें देश की जमीनी हकीकत का कोई अंदाजा नहीं है। जिन इलाकों में कुपोषण सबसे अधिक है। वहां अधिकांश लाभार्थी गरीब महिलाएं हैं। जिनके पास अपना मोबाइल नहीं है। कई परिवारों में से एक ही मोबाइल नंबर आधार से लिंक है। तो कई के पास मोबाइल है ही नहीं या नंबर बदल गया है। जिनके पास मोबाइल है भी वे अक्सर काम पर बाहर होते हैं। या मोबाइल रिचार्ज न होने के कारण ओटीपी प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाता है। डिजिटलीकरण का मतलब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के काम को कम करना था। लेकिन अब यह केवाईसी लाभार्थियों की फेस आई डी, डिजिटल शिक्षा और अब फेस रिक्रिएशन सिस्टम के कारण उनके लिए एक बुरे सपने में बदल गया है। नए मोबाइल उपलब्ध कराने के बजाय भारत सरकार के दबाव में अधिकारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने खर्चे पर नए फोन खरीदने व काम करने के लिए मानसिक दबाव डाल रहे हैं।
आज के प्रदर्शन के मौके पर सीटू के जिला प्रधान निरंतर पाराशर, सीटू के सह सचिव वीरेंद्र पाल,आंगनबाड़ी जिला कमेटी की वरिष्ठ उप प्रधान सुरेंद्री, कमलेश, पूर्व कर्मचारी नेता धर्मवीर वैष्णव, मीनू, चारु, इंदिरा, सीता, चंद्रावती, सुनीता ओल्ड फरीदाबाद, रश्मि, पुष्पा, बाला बडोली सर्कल, अनीता चेची, सविता चेची, सिंधु राजीव नगर, किरण राजीव कॉलोनी, आशा, रेखा, गीता एत्मादपुर, वंदना अनीता राजीव नगर कंचन सुमित्रा, माया, आदि मौजूद रहे।