फरीदाबाद। जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा से जुड़े पीजीआईएमएस रोहतक में वरिष्ठ सर्जन रहे डाक्टर रणबीर सिंह दाहिया ने कहा कि राज्य में मौजूदा स्वास्थ्य ढांचे की सुध कम ली जा रही है। उन्होंने पीएचसी, सीएचसी व नागरिक अस्पतालों में खाली पदों पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों जैसे लैब तकनीशियन, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता इत्यादि की कमी ज्यों की त्यों बनी हुई है। उन्होंने बताया कि जो स्वास्थ्य कर्मचारी पहले से काम कर रहे हैं, उनके शिक्षण व प्रशिक्षण की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। डॉक्टरों सहित अलग-अलग स्वास्थ्य कर्मचारियों, वो चाहे फार्मासिस्ट हों, स्टाफ नर्स हों, बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी हों या अन्य कोई कर्मचारी, सभी पक्ष सरकार की मौजूदा नीतियों से परेशान हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जैसे आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर आदि की स्थिति भी बाकी कर्मचारियों जैसी ही है। पिछले कुछ वर्षों में इन तमाम तबकों ने अनेक हड़तालें व प्रदर्शन इन्ही मांगों को लेकर किए हैं। उन्होंने बताया कि हेल्थ यूनिवर्सिटी रोहतक में ट्रामा सेंटर बनने के काफी बाद शुरू हो पाया है। मातृत्व एवं जच्चा-बच्चा केंद्र को भी शुरू होने में काफी टाइम लगा।
डाक्टर दहिया ने बताया कि देश के सरकारी ढांचे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक सर्जनए एक शिशु रोग विशेषज्ञ, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक फिजिशियन आदि विशेषज्ञ सहित 7 चिकित्सा अधिकारी अवश्य होने चाहिए। लेकिन ये चारों विशेषज्ञ व चिकित्सा अधिकारी शायद ही हरियाणा के किसी सामुदायिक केंद्र में उपलब्ध हों। इस प्रकार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कम से कम दो चिकित्सा अधिकारी व डैंटल सर्जन का होना अनिवार्य है ।
उन्होंने बताया कि हरियाणा की जनसंख्या 2011 में करीब 2.54 करोड़ है। ग्रामीण जनसंख्या 16508356 है। 5 हजार पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र, 30000 पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक लाख पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण क्षेत्र का प्रारूप माना गया है। जिसके अनुसार राज्य में उप स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 3301 होनी चाहिए, जबकि उपलब्धता 2630 कमी.671 की है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 550 होनी चाहिए, जबकि उपलब्धता 486 कमी 64 की है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 165 होनी चाहिए, जबकि उपलब्धबता 119 कमी 46 की है।