फरीदाबाद। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद के डॉक्टरों ने ट्रेन दुर्घटना में घायल हुए 37 वर्षीय व्यक्ति का जीवन बचाने में सफलता हासिल की है। मरीज को दुर्घटना का शिकार होने के बाद बेहद गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हरियाणा के बल्लभगढ़ के रहने वाले मरीज़ को पलवल रेलवे स्टेशन के रेलवे ट्रैक पर हुई दुर्घटना के बाद फोर्टिस फरीदाबाद के इमरजेंसी में लाया गया था। चूंकि मरीज़ का काफी खून बह चुका था और उन्हें बहुत सारी ऐसी चोटें आई थी जिनकी वजह से उन् जीवन पर खतरा मंडरा रहा था, इसलिए वह सदमे में थे। मरीज़ का दायां पैर टूट गया था, उनके बाएं पैर में भी गंभीर टूट-फूट हुई थी, पसलियों में कई फ्रैक्चर हुए थे, चेहरे पर भी काफी चोटें आई थीं और इसके साथ-साथ काफी मात्रा में खून भी बह गया था। अस्पताल की इमरजेंसी और आईसीयू टीम ने तुरंत काम करना शुरू किया और मरीज़ को बेहोशी की स्थिति से बाहर निकाला। डॉ. अशोक धर, एडिशनल डायरेक्टर, ऑर्थोपेडिक्स, डॉ. सुरिंदर रैना, कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक और डॉ. मनीष नंदा, एडिशनल डायरेक्टर, प्लास्टिक सर्जरी के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने टूटे हुए पैर को ठीक किया और इसके अलावा उन्हें ठीक करने के लिए और प्लास्टिक सर्जरियां कीं। एक महीने के भीतर उनकी स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ और जब वह अपने से चलने लगे तो मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस मामले की जानकारी देते हुए डॉ. अशोक धर, एडिशनल डायरेक्टर, ऑर्थोपेडिक्स, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने कहा, “इस मरीज़ के उपचार में कई तरह की चुनौतियां थीं, मरीज़ को सदमे में जाने से, सेप्सिस से बचाना, उनके बुरी तरह कुचल चुके बाएं पैर को बचाना और टूट चुके दाएं पैर के स्टंप को जहां तक संभव हो बचाना था। हमने उनके दोनों पैरों को बचाने के लिए बहुत ही सटीक और संतुलित सर्जिकल दृष्टिकोण अपनाया। बाएं पैर की हड्डियों को पूरी तरह और मजबूती से ठीक करने के बाद, मरीज़ को क्षतिग्रस्त हो चुके और बाहर से दिख रहे टिश्यू को ठीक करने व सुरक्षित करने के लिए कई तरह की प्लास्टिक और रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की जरूरत थी। मरीज़ को सेप्सिस में जाने से बचाने के लिए यह बहुत ही जरूरी था। अगर समय से प्रयास न किए गए होते और तत्काल उपचार न शुरू किया गया होता तो मरीज़ का और भी खून बह जाता या उन्हें गंभीर सेप्सिस की समस्या हो सकती थी।”
डॉ. मनीष नंदा, एडिशनल डायरेक्टर, प्लास्टिक सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने कहा, “पैरों की हड्डियों को ठीक करने के बाद, सबसे बड़ी चुनौतियां बाहर आ चुके टिश्यू को संक्रमण से बचाने और बुरी तरह कुचले जाने के प्रभाव से रक्तवाहिकाओं, नर्सों, मांसपेशियों और हड्डियों जैसे महत्वपूर्ण ढांचों को बचाना था। इसके लिए कई तरह की रीकंस्ट्रक्टिव और प्लास्टिक सर्जरी के साथ-साथ धावों की सुपर स्पेशिएलिटी देखभा की ज़रूरत थी। इस मामले में डोनर के स्किन की गंभीर कमी थी और शरीर का खुला हुआ इलाका काफी ज्यादा था, इसलिए हमें इंटेग्रा नामक त्वचा के कृत्रिम विकल्प का इस्तेमाल करना पड़ा, ताकि महत्वपूर्ण ढांचों को मरने से बचाया जा सके। आखिरकार जब घाव कवर करने योग्य हो गए, तब उन्हें फ्लैप सर्जरी और स्किन ग्राफ्टिंग (सर्जिकल तकनीकें) से कवर किया गया। इसके साथ ही हम न सिर्फ बुरी तरह कुचले जा चुके बाएं पैर को बचा सके और वह पूरी तरह काम करने लगा व उसमें संवेदनशीलता भी लौट आई, बल्कि हम बेहतर कामकाज के लिए दाएं घुटने को भी सुरक्षित कर पाए। एक महीने तक अस्पताल में रहने के बाद और कुछ महीनों के ओपीडी उपचार के बाद, मरीज़ आराम से व अपने दम पर चलने-फिरने लगे।”
योगेंद्र नाथ अवधिया, फेसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने कहा, यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण मामला था, क्योंकि यह बहुत ही गंभीर दुर्घटना थी और इसमें मरीज़ को काफी फ्रैक्चर हुए थे व काफी खून भी बहा था। उचित समय अंतराल पर की जाने वाली कई रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरियों के बाद डॉक्टर मरीज़ के पैरों को बचाने में सफल रहे जिस पर अपने परिवार का पेट पालने की भी जिम्मेदारी है। यदि अस्पताल में उनके इलाज के लिए मल्टीडिसीप्लीनरी दृष्टिकोण न अपनाया जाता, तो यह सब संभव नहीं हो पाता। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद में जांच व उपचार में सटीकता के लिए बहुत ही अनुभवी डॉक्टर और आधुनिक टैक्नोलॉजी उपलब्ध है, जिससे मरीजों को उत्तम उपचार मिल पाता है।”