फरीदाबाद। स्वास्थ्य विभाग जिला में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के फैलाव व संक्रमण को रोकने लिए पूरी तरह अलर्ट है। इन दिनों खांसी, जुकाम और बुखार के लिए जिम्मेदार इंफ्लूएंजा एच3एन 2 वायरस को मिनी कोविड कहा जा रहा है। शहर के सरकारी व निजी अस्पतालों में इस वायरस की चपेट में आए मरीजों की लम्बी तादाद देखी जा सकती है। जिला उपायुक्त विक्रम सिंह ने बताया कि जिस तरह कोरोना एक शख्स से दूसरे में फैलता है और सीधे फेफड़ों पर अटैक करता है। उसी तरह यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर दूसरे व्यक्ति में भी तेजी से फैल रहा है। जब संक्रमित मरीज छींकता है या खांसता है, तो इसके ड्रॉपलेट्स एक घन मीटर के दायरे तक फैल जाते हैं। जहां आस-पास मौजूद व्यक्ति के सांस लेने पर ड्रॉपलेट उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं या फिर संक्रमित व्यक्ति के खांसने-छींकने पर वायरस युक्त ड्रॉपलेट्स किसी सतह या किसी चीज पर गिरते हैं। जिसे स्वस्थ व्यक्ति के छूने पर हाथ में ट्रांसफर हो जाते हैं और आंख-नाक-मुंह के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में दूसरा व्यक्ति भी एच3एन2 से संक्रमित हो जाता है। वहीं हेल्थ एक्सपट्र्स के अनुसार कोरोना वायरस की तरह ही इन्फ्लूएंजा ए-एच3एन2 वायरस भी मरीज के शरीर में लंबे समय तक बना रहता है। यह लंग्स के टिश्यूज या ब्रोंकाइल लाइनिंग को खराब कर देता है। ब्रोंकाइल के आगे मौजूद पतले एयर सेल्स में इंफ्लेमेशन पैदा कर देता है, जिसे ब्रोंकोलाइटिस कहा जाता है। इस कंडीशन में मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों के मुताबिक कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीज, छोटे बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं इस वायरस की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। इसके अलावा टीबी, अस्थमा या लंग्स इंफेक्शन, किडनी, कार्डियक डिजीज से पीडि़त मरीजों के लिए यह वायरस अधिक खतरनाक हो सकता है। इस वायरस से संक्रमित होने पर रोगी में तेज बुखार होना, 5-8 दिन में बुखार सही होने के बाद सूखी खांसी तथा 3 सप्ताह से भी ज्यादा समय तक लगातार बने रहना, खासकर रात को सोने के समय ज्यादा खांसी होना जैसे प्रमुख लक्षण दिखते हैं। वहीं खांसी की वजह से अनिद्रा, गले में दर्द, खराश और कफ होना, नाक बहना, सांस लेने में दिक्कत होना, सीने में दर्द होना, घबराहट महसूस होना, बार-बार उल्टी आना, डिहाइड्रेशन के कारण फेफड़ों तकलीफ होना, कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। सिविल सर्जन डॉ. विनय गुप्ता ने बताया कि आईसीएमआर ने एच3एन2 संक्रमण से बचाव के लिए गाइडलाइन जारी की हैं। इस पर सख्ती से अमल करके संक्रमण से बचा जा सकता है।